Dainik Bhaskar has given a wide coverage of our ongoin research on water related issues. News is available at the following link,
http://www.bhaskar.com/article/CHH-OTH-who-has-right-over-waterresearch-will-be-conducted-996743.html
बिलासपुर. बढ़ते जलसंकट के बीच आज यह तथ्य भी चर्चा में है कि आखिर पानी पर किसका अधिकार है? आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर बनने वाली जलनीति में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मशविरों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
भूजल के अंधाधुंध दोहन के बीच यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने पानी संबंधी नीति पर रिसर्च के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र विभाग को प्रोजेक्ट सौंपा है। प्रदेश में पानी का संकट और बढ़ता उपयोग जलस्तर तेजी से गिरने का कारण है।
गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने यूजीसी के सहयोग से ‘जेंडर इवेल्यूएशन ऑफ वाटर पॉलिसीज इन छत्तीसगढ़’ विषय पर शोध का निर्णय लिया है। शोध से प्रदेश सरकार को जल नीति के लिए सुझाव देने के साथ ही विश्वस्तर पर पानी के उपयोग पर नीति बनाने में मदद मिलेगी।
पानी की बढ़ती समस्या और पानी के लिए हो रहे जन आंदोलन को देखते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राजनीति विभाग ने यूजीसी को पानी की नीति पर शोध करने का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इसे यूजीसी ने स्वीकार कर लिया है।
राजनीति शास्त्र की एचओडी डा.अनुपमा सक्सेना ने बताया कि औद्योगिकीकरण विकास के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन समुदाय, सरकार व उद्योग तीनों में से पानी पर नियंत्रण किसका है, यह सवाल हमेशा से उठता रहा है।
उन्होंने बताया कि समुदाय से प्राकृतिक संसाधनों को अन्यायपूर्ण तरीके से छीना जा रहा है। सरकार द्वारा पानी पर किसी और को अधिकार दिया जा रहा है, इसमें आम लोगों के हित की उपेक्षा हो रही है। डा. सक्सेना ने कहा कि 2 साल के इस प्रोजेक्ट में इन्हीं बातों पर कार्य किया जाएगा कि सरकार,समुदाय व उद्योगों के बीच पानी के उपयोग को कैसे संतुलित किया जाए। इससे विकास व जन कल्याण साथ-साथ होगा।
रागयढ़ में किया गया कार्य: डा. सक्सेना ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर रायगढ़ के गांवों में 15 दिनों तक काम किया गया है। इस दौरान यहां औद्योगिकीकरण के प्रभाव के संबंध में अनेक गांवों के हज़ारों ग्रामीणों से बातचीत की गई। इसके साथ ही प्रोजेक्ट से संबंधित सैकड़ों फोटोग्राफ भी लिए गए हैं।
जल नीति बनाने में मिलेगी मदद
डा.सक्सेना ने बताया कि वर्तमान में पूरे विश्व में जल नीति पर अनेक शोध हो रहे हैं। इनमें से एक यह भी है। विश्व स्तर पर सभी शोधों पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। सभी शोधों के समन्वित अध्ययन के बाद विश्व स्तर पर निर्णय लिया जा सकेगा। संभवत: इसी वजह से यूजीसी द्वारा यह पहल की जा रही है।
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